बजुबानों को जब वोह ज़ुबान देता है
पढ़ने को फ़िर वोह कुरआन देता है।
बख़्शिश पे आता है जब उम्मत के गुनाहों को
तोहफ़े में गुनहगारों को रमज़ान देता है।
Bezubaano ko jab Woh Zubaan deta hai
Padhne ko phir woh Qur'an deta hai
Bakhshish pe aata hai jab ummat ke gunaahon ko
Tohfe mai Gunehgaron ko Ramzan deta hai
بے زبانوں کو جب وہ زبان دیتا ہے
پڑھنے کو پھر وہ قُـــرآن دیتا ہے
بخشش پہ آتا ہےجب امت کےگناہوں کو
تحفے میں گناہ گاروں کو رمضان دیتا ہے
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