मुझे ख़बर है कि तू मुझसे बेखबर नहीं
इसीलिए तो मुझे रास्तों का डर नहीं
तेरे बगैर मेरे दिन ये कैसे गुज़रे......
तू जानता है मेरी रात मुख्तसर नहीं।
Mujhe Khabar hai ki tu mujhse bekhabar nahi hai
Isiliye to mujhe Raaston ka Darr nahi hai
Tere Bagair mere Din ye kaise guzre...
Tu jaanta hai meri Raat mukhtasar nahi
مجھے خبر ہے کہ تُو مجھ سے بے خبر نہیں ہے
اسی لیے تو مجھے راستوں کا ڈر نہیں ہے
تــرے بغیـر مرے دن یہ کـیسے گُــــزرے
تُو جانتا ہے؟ مری رات مختصر نہیں ہے
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