शाम सूरज को ढ़लना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती है,
गिरने वाले को होती तो है तकलीफ़ पर
ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है।
Shaam sooraj ko dhalna sikhati hai
Shama parwane ko jalna sikhati hai
Girne wale ko hoti hai Takleef par
Thokar hi insaan ko chalna sikhati hai
شام سورج کو ڈھلنا سکھاتی ہے
شمع پروانے کو جلنا سکھاتی ہے
گرنے والے کو ہوتی ہے تکلیف پر
ٹھوکر ہی انسان کو چلنا سکھاتی ہے
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